दिल दीवाना------(dil diwaana)
by Sukamaari Arora on Saturday, May 21, 2011 at 5:06pm
वाह!! वो भी क्या दिन थे
तुझे देखना तुझे ही चाहना
कभी देखना कभी छुप जाना
कभी छत कभी खिड़की पे आ जाना
पल्लू का गिरना फिर उठाना
उनेह देख मंद मंद मुस्काना
दूर तक जाते फिर उनेह निहारना
न खाने का होश न नींद का आना
सितारों को रात भर, यूँ ही सताना
खुद से रूठना ,खुद को मनाना
दिवानो की तरह यहाँ वहां टहलना
वाह !!वो भी क्या दिन थे ,,,,,, ,
,,,,,,,और आज ये आलम है .
हंसते हंसते रोना रोते रोते हँसना
ना आने की उम्मीद ना जाने का बहाना
ना खाने की होश ना नींद का आना
सूनी सूनी छत और सूना सूना ठिकाना
सितारों का चुप चाप बादलो में छिप जाना
अब कोन रूठे और किसको मनाना
तनहा रातो से यु ही बतियाना
तब भी था ये ''दिलं दीवाना'', आज भी है ये ''दिल दीवाना''
,,,,,वाह !!वो भी क्या दिन थे ,,,,,तुझे देखना और तुझे ही चाहना
-----------------सुकमारी,,,,,,,,,२१/५/११,,,,,,,,,,,=
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