Thursday 28 April 2011

''''''''''फूल वाली ''''''''by Sukamaari Arora on Friday, April 22, 2011 at 12:48pm

''''''''''फूल वाली ''''''''

by Sukamaari Arora on Friday, April 22, 2011 at 12:48pm

 में जब भी साईं बाबा के मंदिर (लोधी रोड ,देल्ही) में जाती हूँ , अक्सर चोराहे पर खड़ी एक लड़की से में फूल खरीदीती थी !
 उस बच्ची जिस की उम्र लगभग ७/८ साल होगी ,वो बेह्ताहाषा रो रही थी ,क्योकि एक औरत जो उनकी माँ जैसी लगती थी ,,,वो पतली टहनी से उसकी पिटाई कर रही थी ! कुछ एक लोग आगे आये भी रोकने के लिए पर उस औरत ने कुछ कहा तो सब वापस हो लिए ! लगातार पिटने के बाद ,अत रोने के बाद वो लड़की पुनः चोराए पर आ कर फूल बेचने लगी !!तब तक हरी बती हो गयी में गाडी ले कर चली गयी !!! मेरे मन कई प्रशन उठने लगे ,,,,,,,,क्या ये उसकी असली माँ होगी या उससे भीख मनवाने के लिए ये काम करवाते होगे ??? क्या उनको कोई रोक नहीं सकता ,,,,,जबकि क़ानून भी बना बच्चो से काम नहीं करवा सकते ????  हमारे देश में इतनी सारी संस्थाए बनी हुई है , आखिर उनकी निगाह में ये क्यों नहीं दिखाई पड़ता
जब की ये चोराहा ख़ास माना जाता है ,,,,इस चोराहे के आस पास सभी मंत्री ,,,सासंद , व अन्य उच्च पदादिकारी रहेते है ??
इसी उधेड़ बुन में सोचती रही राजधानी में ,,,सरेआम ,,,,छोटे छोटे  बच्ची से  पीट पीट कर भीख मंगवाने का धंधा , ना जाने कब से चल रहा है !!! कल बहुत ही निराशा हुई की में चाह की भी कुछ कर ना सकी !!!!!!!
(सची घटना पर आधारित ,,,,२१,४,२०११..,,,,समय लगभग दोपहर ३ के आस पास )
 मन आशान्त हो रहा था उसको शांत करने के लिए आप दोस्तों से शेयर कर रही हूँ ????कोई समाधान हो तो जरूर कहिये गा !!!!!!!!!!-----------------सुकमारी---------------------------------------------------------------------------------

AIK PARTYby Sukamaari Arora on Tuesday, April 26, 2011 at 12:28pm

AIK PARTY

by Sukamaari Arora on Tuesday, April 26, 2011 at 12:28pm
 KAL RAAT  AIK COLLEGE KE PUANAAEY GROUP ME GET TO GETHER THEE,,,SABHI LAGBHAG DOST AAYE THE ,
SOFT AUR HARD DRINK AUR DJ KA SAB INTJAAM THA,,,,,,YAANI KI FULL MASTI ,,,,,APUN KI AADAT HAI JYADA BOLTEY NAHI PAR HELLO SABHI SE KARTEY HAI,,,,,,BY THE WAY AIK HAMAAREY SAATH COLLEGE ME LADKI PADTITHEE WO AAJKAL MODELLING KARTEE HAI WO BHI WAHAN MOJOOD THEE,,,,HAM SAB AIK DUSRE SE  PURAANI NAYI SAB TARH KI BAATEY KAR RAHE THEY KI ACHAANAK ,,,WO MODEL FRIEND NE CHILLANA SHURU KAR DIYA, KYO  KI, USKI SOFT DRINK ME KISI NE WHISKEY MILA KE PILA DEE,,,,SHARARAT TO HO CHUKI THEE,,,US LADKI NE GAALIYAN DENI SHURU KAR DEE,,
 IS KE PEHLE KI PARTY KHARAAB HO JAAYE HOSTS(FRIENDS) JALDE SE AAGE AAYE OR PUCHAA KYA HUA,,,USNE SAB KUCH BATA DIYA,,,WAITER KO BULAAYA TO USNE US AADMI KA NAAM BATA DIYA ,,,JIS NE YE SHARART KARI THEE,,
KHAIR SAB KE KEHNE PAR USNE MAAFI MAANGI,,,,,,OR THODI DER BAAD SHARMINDA HO KAR WO WAHAN SE CHALA GAYA,,,,HAM AAPAS ME BAAT KAR REHE THE,,AGAR US MODEL KI JAGAH US LADKEY KI BAHEN HOTI OR KOI  AISI SHARAT KARTA  TO KYA HOTA,,,,

''''''''संस्कार''''''by Sukamaari Arora on Thursday, April 28, 2011 at 6:41am

''''''''संस्कार''''''

by Sukamaari Arora on Thursday, April 28, 2011 at 6:41am


''''''संस्कार'''''''

हरिद्वार में डुबकी लगाने से क्या   पाप सब धुल  जाते 

 आप अछे विचारों में डुबकी लगाओ तो बात कीजिये
साधू संतो के पाव दो कर खाना खिलाने वालो
ऐसी माँ बाप की सेवा करो तो बात कीजिये
पत्थर की मूर्ती को जो इतना मिस्थ्ठान चढाते हो
किस्सी भूखे का पेट भरो तो बात कीजिये
मंदिर की घन्त्तियाँ बजा भगवान्  को जगाते  हो
अपनी आत्मा को जगाओ तो बात कीजिये
सुना है संस्कार आते है सत्संग में जाकर
वो संस्कार गर अपने में लाओ तो बात कीजिये
--------------सुकमारी////२८/४/२०११--------------

''''''''इंसान '''''''by Sukamaari Arora on Wednesday, April 27, 2011 at 5:37am

''''''''इंसान '''''''

by Sukamaari Arora on Wednesday, April 27, 2011 at 5:37am

 '''''''''इंसान''''''''
रोते हुए आता है इंसान इस दुनिया में
उसे गमो के बोझ में सदा दबा ही देखा
लोग ही लोग जिधर देखो ज़मीं पर
पर इंसान को हमने तनहा ही देखा
गरीबी,लाचारी,लूटमारी है चारो तरफ
जीवन भर इससे दो चार होते ही देखा
कोन हुक्मरान इनके लिए कुछ करता है
हर किस्सी को इनेह भेड़ो की तरह हांकते देखा
तरस खा, पुचकार कर प्यार का हाथ रखते है
उनेही हाथो से इनपर डंडे बरसाते देखा
इंसान को इंसान कब समझे गे '''सुकमारी'''
यहाँ इंसान ही इंसान का दुश्मन देखा
--------------सुकमारी ////२७.४.२०११..---

''''''सफ़र''''

By Sukamaari Arora · Monday

''''''''सफ़र''''
मंजिले बदल गयी रास्ते गम हुए
मगर फिर भी हम सफ़र करते है
गरीब हुए , जहाँ तंगदिल हुआ
मगर फिर भी हम बसर करते है
खैरियत आप हमसे पूछे ना पूछ
मगर फिर भी हम कदर करते है
ये नज़्म आप कबूल करे ना करे
मगर फिर भी हम नज़र करते है
-------------सुकमारी---२५.४.२०११ 

------आहट------by Sukamaari Arora on Saturday, April 23, 2011 at 8:31am

------आहट------

by Sukamaari Arora on Saturday, April 23, 2011 at 8:31am

''''''''आहट ''''''
दिए सभी बुझ गए दिल जलता रहा रात भर
उन का ख्याल आता  रहा जाता रहा रात भर

हिज्र की रात हो और उस पे हो इन्जार
यही गम घुन की तरह खाता रहा रात भर

इक हुक से उठती रही यूं धुआं बन बन कर
इसी धुए में यारब सुलगता रहा रात भर

महसूस होता था हमें अब वो आ ही रहे है
इसी ख्याल में करवते  बदलता रहा रात भर

हर आहाट पे चोकना ये हद से गुज़र जाना है
इक आहाट के लिए  में तडपता रहा रात भर
--------------सुकमारी////२२/४/२०११--------

duyaaye

''''''''कसम''''''by Sukamaari Arora on Thursday, April 21, 2011 at 8:52am

''''''''कसम''''''

by Sukamaari Arora on Thursday, April 21, 2011 at 8:52am

''''''''कसम'''''''
असर वफ़ा के जब सामने आने लगे
गैर भी राह में पलके बिछाने लगे
जिस महफ़िल से ठुकराए गए थे
ना जाने क्यों हमें वो बुलाने लगे
गीत मेरे जो गाता था न कोई
वही गीत अब वो गुनगनाने लगे
साथ देना जो गवारा न समझते थे
वो लोग भी अब साथ निभाने लगे
ताउम्र बुरे रहे निगाहों में उनकी
यकलख्त प्यार वो छलकाने लगे
जो नाम से मेरे जल जाते थे '''सुकमारी'''
वो नाम ले कर मेरा कसम खाने लगे
---------------सुकमारी/////21.4.11

''''उल्फत'''by Sukamaari Arora on Friday, April 22, 2011 at 11:34am

''''उल्फत'''

by Sukamaari Arora on Friday, April 22, 2011 at 11:34am

'''''''उल्फत'''''''
यारें उल्फत में जो , तबियत मेरी भर गयी
गम-ए-बस्ती दिल पे मेरे य़ू घर कर गयी
कैसे नहीं सहे जुल्म-ओ-सितम दुनिया के
जिंदगी अब नाम-ए-वफ़ा से दर गयी
बेज़ार हुए हर तरफ से जिंदगी में
इक इक करके हर शै हमसे यूँ मगर गयी
अँधेरा-ही-अँधेरा है चारो तरफ
दूर आँखों से ,जहां तक मेरी नज़र गयी
अब किस से मांगू सहारा '''सुकमारी'''
ना जाने दुनिया क्यों मेरी बिखर गयी
------------सुकमारी////// 22.4.2011

Thursday 21 April 2011

''''''''क्षणिक जीवन '''''


''''''''क्षणिक जीवन '''''
----------------------
शरद की स्याह रात
समूचे अस्तित्व
को समेटे ,,,,
दूर बहुत दूर
गहरायीओं में खामोश
लम्पोस्त !!
प्रकाश ,,धुंधला धुंधला ,,थका थका सा
प्रतीत होता है
लगता है मानो ,,,,,,
कोई वैयक्ति
मरने से पहले ही
जीवन की अंतिम
घडिया गिन रहा हो
-------सुकमारी///१९..४.11

by Sukamaari Arora on Tuesday, April 19, 2011 at 9:17am

by Sukamaari Arora on Tuesday, April 19, 2011 at 9:17am




'''''''शबनम ''''''''
एक दिन मेने
शबनम से कहा

तू कितनी  खुशनसीब है

मोती की तरह चमकती है
हंसती है ,खिल्खालाती है


जिस पती  या फूल पर बैठ जाए 
उसकी रोनक बड जाती है!!!!

शबनम ने कहा

सुनो बात एक
छोटा सा है  मेरा जीवन
छोटा सा है  मेरा फ़साना

खुद भी खुश रहना

ओरो की भी हसाना

यही है मेरा फलसफा
यही है मेरा तराना !!!!
,,,,, ,,,क्या खूब फलसफा है,,
आगे बोली ,,,माना मे
सूरज की किरणों से सूख जाती हूँ
हवा के ज़रा से झोंको से बिखर  जाती हूँ
जीने के लिए तो कुछ पल भी बहुत है
मर मर के जीने के लिए तो एक सदी भी कम है
बस मेरा तो  इतना ही कहना है
,,,,,मेरा तो इतना ही कहना है
----------------सुकमारी/////19/4/2011




दुआए

By Sukamaari Arora · Yesterday

  '''''''''दुआएं '''''''
बर्बाद होने से ओरो को बचा लिया करो
मिलेगी दुआएं नेक काम कर लिया करो
उलझी हो जिसकी जिंदगी उलझनों में
उलझन उसकी कभी तुम सुलझा दिया करो
झुक गए हो जिसके शाने ढोते  ढोते  गम
बदनसीब का बोझ हल्का कर दिया करो
बुराई जहां की मिट नहीं सकती ''''सुकमारी''''
जितना भी हो सके उतना कर दिया करो
---------------सुकमारी------ 20.4.2011

by Sukamaari Arora on Thursday, April 21, 2011 at 8:52am

by Sukamaari Arora on Thursday, April 21, 2011 at 8:52am

''''''''कसम'''''''
असर वफ़ा के जब सामने आने लगे
गैर भी राह में पलके बिछाने लगे
जिस महफ़िल से ठुकराए गए थे
ना जाने क्यों हमें वो बुलाने लगे
गीत मेरे जो गाता था न कोई
वही गीत अब वो गुनगनाने लगे
साथ देना जो गवारा न समझते थे
वो लोग भी अब साथ निभाने लगे
ताउम्र बुरे रहे निगाहों में उनकी
यकलख्त प्यार वो छलकाने लगे
जो नाम से मेरे जल जाते थे '''सुकमारी'''
वो नाम ले कर मेरा कसम खाने लगे
---------------सुकमारी/////21.4.11

Tuesday 19 April 2011

यांदेby Sukamaari Arora on Sunday, March 27, 2011 at 3:15pm

यांदे

by Sukamaari Arora on Sunday, March 27, 2011 at 3:15pm

 ना जाने मौसम में कैसे उदासी छाई है
की तनहा में याद किसी की आई है
बहुत कोशिश की भुला दूं उनको
वही तस्वीर बार बार सामने आई है
जब से रुखसत हुए इस जिंदगी से
ख्याल आता है किस खता की सजा पायी है
एक बार सिर्फ एक बार आ कर बताये
आखिर ! वफ़ा की सजा क्यों बेफाई है ........@...सुकमारी......


मेरा भाईby Sukamaari Arora on Tuesday, March 29, 2011 at 8:42pm

मेरा भाई

by Sukamaari Arora on Tuesday, March 29, 2011 at 8:42pm
मेरा भाई चाहता है में किसी से रात १० बजे के बाद बात ना करूं
वो दुसरो की बहनों से सारी सारी रात  बात करता रहता है
मेरा भाई चाहता में छोटे और तंग कपडे न पहनू
वो दुसरो की बहनों को इन्ही कपड़ो में पसंद करता है
मेरा भाई चाहता है में फिल्म अपनी सेहली के साथ ही देखू
वो दुसरो की बहनों को रात के शो में ले जाता है
मेरा भाई चाहता है में कीर्तन और भगवन में रूचि रखूँ
वो दुसरो की बहनों को डिस्को/क्लब ले जाता है
मेरा भाई चाहता है मेरा कोई लड़का दोस्त न हो अगर हो तो शादी करे
वो दुसरो की बहनों के साथ मोज मस्ती करता रहता है
मेरा भाई चाहता में में स्मोके और व्हिस्की से दूर रहू
वो दुसरो की बहने ऐसा ना करे तो उनेह जाहिल समजता है
वाह !! मेरा भाई ,,,,,,,,जैसा कोई नहीं ,,,,,,,,,सुकमारी,,,,,,,,,,   

dil



by Sukamaari Arora on Wednesday, March 30, 2011 at 1:18pm
  दिल ही क्या  ग़र इसमें हसीं ज़ज्बात नहीं
 ये दिल ,दिल नहीं गर इसमें आप नहीं

ये वक़्त यूं ही थम जाए गा
गर आप का साथ नहीं

 अरमा नहीं अब  हसरत नहीं
 शिकवा  नहीं   शिकायत  नहीं
बस  यूं ही इस  दिल में बसे रहो
और   कोई  आपसे फ़रियाद  नहीं------सुकमारी,

Love letterby Sukamaari Arora on Thursday, March 31, 2011 at 11:16am

Love letter

by Sukamaari Arora on Thursday, March 31, 2011 at 11:16am

 प्रिये
तुम्हारा खिल खिला कर हंसना मुजे अच्छा लगता है
मुजे खुश रखना और हसाना     मुजे अच्छा लगता है
तुम्हारे उठने बैठने का अंदाज़    मुजे  अच्छा लगता है
मेरा, मेरे घर वालो का ख़याल रखना मुजे अच्छा लगता  है
 विश्वास सलीका और ज़ज्बात देख मुजे अच्छा लगता है
 हर इंसानों के प्रति नेक खयालात देख मुजे अच्छा लगता है
अचानक से आ कर बाह पकड़ लेना  मुजे अच्छा लगता है
प्यार से निहारते रहना तेरा , मुजे अच्छा लगता है
मम्मी का आना और तेरा घबरा जाना मुजे अच्छा लगता है
हकला कर ""आई लव यू ''' कहना मुझे अच्छा लगता है
----------------------------------तुम्हारी ,,,सुकमारी,,,,,,,,,,,

हालात बदल गए (circumstances)

By Sukamaari Arora · Friday, April 1, 2011

तुम आँख मिला कर
जैसे पहेले
बात क्यों नहीं करते
क्या तुम बदल गए
या फिर
हालात !!!
बात बात पर ठहाके लगाना ,तुम्हारा
मोका मिलते बाह पकड़ लेना
क्या तुम भूल गए
या फिर
हालात  !!!
चाँद सितारे और सूरज
आज भी आ जा रहे है
रास्ता ??
तुम भूल गए
या फिर
हालात  !!!
अब तो दिल भी रह रह ये पूछता है
वो चाहने वाले किधर गए
वो खुद भूल गए
या फिर
हालात   !!!
_________________सुकमारी___१/४...

'''''''लम्हे'''''by Sukamaari Arora on Saturday, April 2, 2011 at 9:24am

'''''''लम्हे'''''

by Sukamaari Arora on Saturday, April 2, 2011 at 9:24am

जो मिला के नज़र , नज़र से गुजारे
वो प्यार के लम्हे थे
जो बिछा के पलके, राहों में गुज़ारे
वो इज़हार के लम्हे थे
जो पल वादों और कसमो में गुज़ारे
वो ऐतबार के लम्हे थे
जो पीपल की छाव में गुज़ारे
वो इंतज़ार के लम्हे थे

जो पल झगड़ो में गुजारे
वो तक्र्रार के लम्हे थे

जो दिवार से सर टकरा के गुज़ारे

वो गुबार के लम्हे थे

जो दिन कज़ा के बाद गुज़ारे

वो उधार के लम्हे थे -------------सुकमारी/२/४/२०११  

'''''समझोता''''by Sukamaari Arora on Sunday, April 3, 2011 at 9:43am

'''''समझोता''''

by Sukamaari Arora on Sunday, April 3, 2011 at 9:43am

आओ चलो एक नयी धुन बनाते है
उस पर मिल कर गीत जाते है
जिसमे कोयल जैसी मिठास हो
उसपे पपीहे का नाच हो
आओ चलो एक नई क्यारी सजाते है
हर रंग के फूल इसमें लगाते है
उन फूलो की साड़ी खुश्बो
इस कायनात में फेलाते है
आओ चलो एक नया घर बसाते है
जिस में में हूँ पर में नहीं
तुम हो पर तुम नहीं,
केवल ""हम" होगे
उसमे खुशिओ के हर पल में रंग भर देंगे
मिल कर दुःख-दर्द हर लेंगे

भूल जाओ सब गिले शिकवे
 अब एक हो जाते है

मिल कर धुन बनाते है
मिल कर गीत गाते है -----------------सुकमारी //३.४.२०११  

log

By Sukamaari Arora · Monday, April 4, 2011


            '''''आम लोग खास लोग '''''''


दुनिया बसी है यहाँ कुछ ही लोगो के लिए


बहारें आती है यहाँ कुछ ही लोगो के लिए


महफ़िल में रह कर भी क्या मिल जाए गा


हर महफ़िल सजी है कुछ ही लोगो के लिए


हज़ारो आये गे जाए गे हज़ारो लोग


बहते है आंसू यहाँ कुछ ही लोगो के लिए


मेरे मरने से कोई मर ता ना जाए गा यारो


वो और है जो मरते है कुछ ही लोगो के लिए--------सुकमारी/४.४.२०१




''''''''''सन्नाटा'''''''''by Sukamaari Arora on Tuesday, April 5, 2011 at 11:12pm

''''''''''सन्नाटा'''''''''

by Sukamaari Arora on Tuesday, April 5, 2011 at 11:12pm

 ''''''''सन्नाटा'''''''''
एक फूल ही तो मसला गया गुलशन में
चमन तो महक रहा था बहारो का क्या हुआ
चाँद तो निकला है पर है फीका फीका
वो चमक कहाँ गयी सितारों का क्या हुआ
यार हमारे भी रुखसत हुए रफ्ता रफ्ता
जान देते थे जो उन वफादारो का क्या हुआ
पालकी उठाओ अब वक़्त आ गया है जाने का
देखो कहाँ है सब , उन कहारों का क्या हुआ
इतना सनाटा क्यों है आज कब्रिस्तान में लेकिन
'"सुकमारी ''ही तो आई है इन मजारो का क्या हुआ
-----------------------सुकमारी,,,,,५/४/२०११,,,,,,,,,,

====दामन=====

By Sukamaari Arora · Wednesday, April 6, 2011
 ++++दामन++++
जागते है आरमा मेरे जो आपकी खातिर
दे कर थपकी उनको हम सुला सकते नहीं
क्यों !किसने कहा था हमसे दूर जाने को
वापिस आपको अब भुला सकते नहीं
हाल हमारे गर्दिश में है यारो, फिर भी
इस हालत पे खुद को रुला सकते नहीं
प्यार करें ना करें ये है आप की मर्ज़ी
दामन आपके आगे हम फैला सकते नहीं
-------------सुकमारी------

''''''''सजा''''''

By Sukamaari Arora · Thursday, April 7, 2011

 '''''''सजा'''''
दिल लगाने की सजा हमें ऐसी मिली
हम हंस भी नहीं सकते और रो भी नहीं सकते
ज़ख़्म वो ऐसे दे गए दिल पे

जो दिखा भी नहीं सकते छुपा भी  नहीं  सकते

छोड़ दिया हम जा के दरिया के बीच

खुद को डुबो  भी नहीं सकते बहार आ भी नहीं सकते

फूल कैसे """सुकमारी"""इस गुलिस्तान के

जो खिल भी नहीं सकते और मुरझा भी नहीं  सकते

--------------सुकमारी------------------------

CHEHRE PE CHEHRAby Sukamaari Arora on Friday, April 8, 2011 at 8:16pm

CHEHRE PE CHEHRA

by Sukamaari Arora on Friday, April 8, 2011 at 8:16pm
 '''''''चेहरे पे चेहरा'''''''
जिंदगी में कभी कभी ऐसे भी इतेफाक होते है
अपना कोई नहीं ,पर चाहने वाले लाख होते है
गर कह दे हमें बुरा  , तो रहते है खामोश
असल में  होते  है जो बुरे दामन उनके पाक होते है
जो देते  है तसलियाँ  झूठी  पल दर पल
 देखा है अक्सर  वादे उनके मज़ाक होते है
चेहरे कई कई लगा कर मिलते है ''सुकमारी''
हंसते है ऊपर से ,पर अन्दर से जल कर खाक होते है
---------------सुकमारी---------८/४/११ ------------  

brashtaachaarby Sukamaari Arora on Saturday, April 9, 2011 at 10:55am

brashtaachaar

by Sukamaari Arora on Saturday, April 9, 2011 at 10:55am
 भ्रष्टाचार
एक एकेले गांधी ने
एन्ग्रेजो की हकूमत बदल डाली
गाँधी के शिष्या ''आन्ना '' ने
भ्रष्ट सरकार की नीव हिला डाली
कल तक नेता जो हंस झूम रहे थे
 सब की ''आन्ना''ने नींद उडा डाली

 नेता इस सरकार के ,बावले से हुए 
जुबा पे लगा ताला, उतरी चेहरों की लाली
देखा उनोहने जब लाखो जुड़ गए ''आन्ना'' के साथ
समझ गए सब नेता, जनता उनेह नहीं छोड़ने वाली
सहमी सरकार ने ''आन्ना''की सब बाते मान कर
भर्ष्टाचार को ख़त्म करने की आज शुरआत कर डाली
जय  हो आन्ना हजारे ,,,,,जय हो भारत माता ,,,,,,,
---------------सुकमारी,,----------९.४.२०११---------

''''फिसलन''''''''by Sukamaari Arora on Saturday, April 9, 2011 at 6:19pm

''''फिसलन''''''''

by Sukamaari Arora on Saturday, April 9, 2011 at 6:19pm


 ''''''फिसलन'''''
ना भटके दिल मेरा इस जहाँ में ,उसे राह पर लाते रहेते है
संभल कर पावँ रखते  है तब कही जा संभल पाते है
चद्दर बड़ी हो ,या हो छोटी, उससे ना कोई वास्ता
बस पावँ अपने  चद्दर देख कर ही हम फैलाते है

दुनिया चाहे कुछ भी करे ,,हमें उनसे क्या लेना 
जो किस्मत में लिखा  उस  किस्मत का ही खाते है

नज़रे हम पर हज़ारो गडी है ,बचना भी जरूरी है

इसलिए यहाँ किसी को हम राजदाँ   नहीं बनाते है
फिसलन बहुत है इस जहाँ में ''''सुकमारी''''संभालना ज़रा

जुबान ज़रा फिसली नहीं कि लोग नजरो से गिर जाते है
------------------------सुकमारी/////९/४/२०११---------------

''''''''नुमाइश ''''''''by Sukamaari Arora on Monday, April 11, 2011 at 5:22pm

''''''''नुमाइश ''''''''

by Sukamaari Arora on Monday, April 11, 2011 at 5:22pm

 ;''''''''''नुमाइश'''''''''
इस जिंदगी में कभी कभी ऐसे भी मुकाम आये है
जिसे  ना समझ पाए हम , वो भी ना समझ पाए है
हम रहनुमा की तलाश में हर राह से गुज़र गए
राहजन ही राहजन हर मोड़ पर पाए है
सदमे उठा उठा कर कुछ  थक से गए है
यूँ ज़ख्म-इ-दिल पर कई नगर बसाए है
भेजा था पैगाम जिन राह्जनो को '''सुकमारी''
ज़ख्मो की नुमाइश देखने वो आज आये है
-------------सुकमारी/११.४.२०११--------------


'''मौत ''''by Sukamaari Arora on Tuesday, April 12, 2011 at 11:03am

'''मौत ''''

by Sukamaari Arora on Tuesday, April 12, 2011 at 11:03am

''''''मौत  '''''
उन का जाना क्या हुआ अपनी जान जाती रही
लौ शमा की महफ़िल में यूँ ही लडखडाती रही
महलो में खंडरों में हर जगह आवाज़ दी
टकरा के दीवारों से खुद मेरी सदा आती रही
अभी गुजरी  ना थी बहार ,,कि खिजां आ गयी
चमन फिर ना खिल सका बहार आती रही जाती रही
भंवर से तो ले आये थे कश्ती को हम निकाल
आ के करीब साहिल के मोजो से टकराती रही
जिंदगी के हर मोड़ पर कज़ा का सामना हुआ

लिपटे रहे जिंदगी से मौत यूं  छु कर  जाती  रही

--------------सुकमारी///१२.४.२०११---------- 

'''''''''चराग'''''''''

By Sukamaari Arora · Wednesday, April 13, 2011

 ''''''''''''चराग'''''''''''
ना फ़साना बनता ना रुसवा होते कभी
जो पहले पर्दा गिरा लेते तो अच्छा था
कहानी हमारी ना मशहूर होती  कभी
शाने से सर को हटा लेते तो अच्छा था
उल्फत में जो हम बदनाम हुए सो हुए
मेरे नाम का चर्चा ना करते तो अच्छा था
बुझ गए थे चराग सब ,रात ,में हवा से
तब मुझ को ही जला लेते तो अच्छा था
--------------सुकमारी/////१३.४.२०११-------


दोस्तों के नाम'''''by Sukamaari Arora on Wednesday, April 13, 2011 at 6:58pm

दोस्तों के नाम'''''
by Sukamaari Arora on Wednesday, April 13, 2011 at 6:58pm


kuchh doston ke naam
--------------------------
kuchh log kyo  mere chehre ko padte hai
jo dil se nikle alfaaz wo kyo nahi padte
raaz dil ka sunanna chaha hamne
haal-e-dil mera ,dil se kyo nahi sunte
soorat khushnuma hai lagta hai unko
par sabab mere roney ka kyo nahi poochtey
jise bhi dost kaho wo imitihaan leta hai
khud ko pehle bhayaan kyo nahi karte
gar  hoon mey harf-e-galat ,to dosto
 apni'' soochi'' se mujhe mita kyo nahi dete
shama ki tarah rosahn hai '''''sukamaari'''
zulsney se dartey ho to bujha kyo nahi dete
------------sukamaari///13.4.2011///5.30pm

'''''''''दास्तां'''by Sukamaari Arora on Saturday, April 16, 2011 at 9:02am

'''''''''दास्तां'''

by Sukamaari Arora on Saturday, April 16, 2011 at 9:02am


'''''''''''दास्तां''''''''
दास्तां बयाँ kartey kartey wo jo muskra diya
uski is baat ne mujh ko  rula diya

uth raha tha dhuan dard ka unki baaton se
lag raha tha usne kuchh khaas gwan diya
awaaz me dard tha aankho me thee nami
kah raha thaa wo usne sab kuch bhula diya
jaane kya shikwe the uske logo ke saath
jo tanhiyon ke shahr me khud ko basa liya
kise fursat thee jo pakad leta uska haath

----------------sukamaari//////15.4.2011////18.00

अतीत या कुछ औरby Sukamaari Arora on Sunday, April 17, 2011 at 10:33am

अतीत या कुछ और

by Sukamaari Arora on Sunday, April 17, 2011 at 10:33am

झोकां शीतल हवा का
छूता हुआ निकल गया
सिरहन से पैदा हुई
शरीर में
मानो किसी ने
शांत जल में कंकर फैंक दी हो
उन तरंगो को देख
सोचते सोचते न जाने कहाः खो गयी
भीड़ ही भीड़
कोलाहल
कोई भी चेहरा जाना पहचाना नहीं
परेशान बदहवास
कुछ बोलना चाहा तो जीवः तालू से चिपक गई
भागना चाहा तो पावं जमीन से चिपक गए
पसीना से तर बतर
अचानक किसी ने झकझोरा
देखा
मुहं से एक आह निकली
कहा """"तुम"""
फिर सोचा ये क्या था
अतीत /दुस्वापन/खुद  का बुना सपना
------------सुकमारी////१७/४/२०११---------

Edit''''''''एक प्रशन''''''''by Sukamaari Arora on Monday, April 18, 2011 at 7:54am

''''''''एक प्रशन''''''''

by Sukamaari Arora on Monday, April 18, 2011 at 7:54am


''''''''एक प्रशन'''''
कहते है
हाथ की लकीरों में किस्मत छीपी होती है !!!
समाज में लोगो को देखती हूँ तो
रहस्य गहरा जाता है
एक प्रशन ????
क्यों, ऐसा क्यों ?
एक तरफ  लोगो को दो जून की रोटी नसीब नहीं
दूसरी तरफ लोगो को रोटी की परवाह तक नहीं
एक तरफ लोगो को तन डाकने को वस्त्र  नहीं
दूसरी तरफ तन डाकने की दरकार नहीं
एक तरफ लोगो के पास झोपडी तक नहीं
दूसरी तरफ शानदार बंगले ,कई कई घर
एक तरफ लोगो के पास साइकिल तक नहीं
दूसरी तरफ कारों का काफिलां
क्या ये सब किस्मत की वजह से ??????
सोचने के लिए मजबूर हो जाती हूँ
भ्रस्टाचार,रिश्वखोरी ,चोरी ,भीक मांगना ,लूट पाट, डकैती ,खून खराबा ,,अपरहण
गुंडा गर्दी ,दोखाबजी , मिलवाट,,,,,,,,
ये सब आम है
आजकल
क्या ये भी किस्मत की वजह से ???????
विश्वास उठ चूका है
लोगो का लोग से

कोन किसी की पीठ पर वार कर दे

कोई नहीं जानता
हर आम आदमी
अपनी लाश को अपने कंधे
पर ढो कर गूम रहा है
 घर से

बहार या

 हो घर के अन्दर
 कोई अंतर नहीं
कब कोन आपकी जीवन लीला ख़त्म कर दे
कोई रोकने वाला नहीं
,,,,,,,,,क्या यह किस्मत की वजह से है
अगर है तो!!! ये सब अमीर लोगी के साथ क्यों नहीं ?
क्या उनकी किस्मत किसी और ने लिखी है ??

रह रह कर यही ''''''एक प्रशन ''''''दिमाग में घूमता  रहता है

''''''''शबनम''''''''''by Sukamaari Arora on Tuesday, April 19, 2011 at 9:17am

''''''''शबनम''''''''''

by Sukamaari Arora on Tuesday, April 19, 2011 at 9:17am




'''''''शबनम ''''''''
एक दिन मेने
शबनम से कहा

तू कितनी  खुशनसीब है

मोती की तरह चमकती है
हंसती है ,खिल्खालाती है


जिस पती  या फूल पर बैठ जाए 
उसकी रोनक बड जाती है!!!!

शबनम ने कहा

सुनो बात एक
छोटा सा है  मेरा जीवन
छोटा सा है  मेरा फ़साना

खुद भी खुश रहना

ओरो की भी हसाना

यही है मेरा फलसफा
यही है मेरा तराना !!!!
,,,,, ,,,क्या खूब फलसफा है,,
आगे बोली ,,,माना मे
सूरज की किरणों से सूख जाती हूँ
हवा के ज़रा से झोंको से बिखर  जाती हूँ
जीने के लिए तो कुछ पल भी बहुत है
मर मर के जीने के लिए तो एक सदी भी कम है
बस मेरा तो  इतना ही कहना है
,,,,,मेरा तो इतना ही कहना है
----------------सुकमारी/////19/4/2011