------आहट------
by Sukamaari Arora on Saturday, April 23, 2011 at 8:31am
''''''''आहट ''''''
दिए सभी बुझ गए दिल जलता रहा रात भर
उन का ख्याल आता रहा जाता रहा रात भर
हिज्र की रात हो और उस पे हो इन्जार
यही गम घुन की तरह खाता रहा रात भर
इक हुक से उठती रही यूं धुआं बन बन कर
इसी धुए में यारब सुलगता रहा रात भर
महसूस होता था हमें अब वो आ ही रहे है
इसी ख्याल में करवते बदलता रहा रात भर
हर आहाट पे चोकना ये हद से गुज़र जाना है
इक आहाट के लिए में तडपता रहा रात भर
--------------सुकमारी////२२/४/२०११--------
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