By Sukamaari Arora · Wednesday, April 13, 2011
''''''''''''चराग'''''''''
ना फ़साना बनता ना रुसवा होते कभी
जो पहले पर्दा गिरा लेते तो अच्छा था
कहानी हमारी ना मशहूर होती कभी
शाने से सर को हटा लेते तो अच्छा था
उल्फत में जो हम बदनाम हुए सो हुए
मेरे नाम का चर्चा ना करते तो अच्छा था
बुझ गए थे चराग सब ,रात ,में हवा से
तब मुझ को ही जला लेते तो अच्छा था
--------------सुकमारी/////
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