अतीत या कुछ और
by Sukamaari Arora on Sunday, April 17, 2011 at 10:33am
झोकां शीतल हवा का
छूता हुआ निकल गया
सिरहन से पैदा हुई
शरीर में
मानो किसी ने
शांत जल में कंकर फैंक दी हो
उन तरंगो को देख
सोचते सोचते न जाने कहाः खो गयी
भीड़ ही भीड़
कोलाहल
कोई भी चेहरा जाना पहचाना नहीं
परेशान बदहवास
कुछ बोलना चाहा तो जीवः तालू से चिपक गई
भागना चाहा तो पावं जमीन से चिपक गए
पसीना से तर बतर
अचानक किसी ने झकझोरा
देखा
मुहं से एक आह निकली
कहा """"तुम"""
फिर सोचा ये क्या था
अतीत /दुस्वापन/खुद का बुना सपना
------------सुकमारी////१७/४/२०११---------
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