Thursday, 21 April 2011

''''''''क्षणिक जीवन '''''


''''''''क्षणिक जीवन '''''
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शरद की स्याह रात
समूचे अस्तित्व
को समेटे ,,,,
दूर बहुत दूर
गहरायीओं में खामोश
लम्पोस्त !!
प्रकाश ,,धुंधला धुंधला ,,थका थका सा
प्रतीत होता है
लगता है मानो ,,,,,,
कोई वैयक्ति
मरने से पहले ही
जीवन की अंतिम
घडिया गिन रहा हो
-------सुकमारी///१९..४.11

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