Tuesday, 19 April 2011

Edit''''''''एक प्रशन''''''''by Sukamaari Arora on Monday, April 18, 2011 at 7:54am

''''''''एक प्रशन''''''''

by Sukamaari Arora on Monday, April 18, 2011 at 7:54am


''''''''एक प्रशन'''''
कहते है
हाथ की लकीरों में किस्मत छीपी होती है !!!
समाज में लोगो को देखती हूँ तो
रहस्य गहरा जाता है
एक प्रशन ????
क्यों, ऐसा क्यों ?
एक तरफ  लोगो को दो जून की रोटी नसीब नहीं
दूसरी तरफ लोगो को रोटी की परवाह तक नहीं
एक तरफ लोगो को तन डाकने को वस्त्र  नहीं
दूसरी तरफ तन डाकने की दरकार नहीं
एक तरफ लोगो के पास झोपडी तक नहीं
दूसरी तरफ शानदार बंगले ,कई कई घर
एक तरफ लोगो के पास साइकिल तक नहीं
दूसरी तरफ कारों का काफिलां
क्या ये सब किस्मत की वजह से ??????
सोचने के लिए मजबूर हो जाती हूँ
भ्रस्टाचार,रिश्वखोरी ,चोरी ,भीक मांगना ,लूट पाट, डकैती ,खून खराबा ,,अपरहण
गुंडा गर्दी ,दोखाबजी , मिलवाट,,,,,,,,
ये सब आम है
आजकल
क्या ये भी किस्मत की वजह से ???????
विश्वास उठ चूका है
लोगो का लोग से

कोन किसी की पीठ पर वार कर दे

कोई नहीं जानता
हर आम आदमी
अपनी लाश को अपने कंधे
पर ढो कर गूम रहा है
 घर से

बहार या

 हो घर के अन्दर
 कोई अंतर नहीं
कब कोन आपकी जीवन लीला ख़त्म कर दे
कोई रोकने वाला नहीं
,,,,,,,,,क्या यह किस्मत की वजह से है
अगर है तो!!! ये सब अमीर लोगी के साथ क्यों नहीं ?
क्या उनकी किस्मत किसी और ने लिखी है ??

रह रह कर यही ''''''एक प्रशन ''''''दिमाग में घूमता  रहता है

1 comment:

  1. yahi aik prashan mere bhi dimaag me goomta hai ,,,,kyo akhir kyo ,,,,,gareeb aur greeb hote ja rahe hai ameer aur ameer hote ja rahe hai,,,,,
    ------rakesh kanwar------

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