''''फिसलन''''''''
by Sukamaari Arora on Saturday, April 9, 2011 at 6:19pm
''''''फिसलन'''''
ना भटके दिल मेरा इस जहाँ में ,उसे राह पर लाते रहेते है
संभल कर पावँ रखते है तब कही जा संभल पाते है
चद्दर बड़ी हो ,या हो छोटी, उससे ना कोई वास्ता
बस पावँ अपने चद्दर देख कर ही हम फैलाते है
दुनिया चाहे कुछ भी करे ,,हमें उनसे क्या लेना
जो किस्मत में लिखा उस किस्मत का ही खाते है
नज़रे हम पर हज़ारो गडी है ,बचना भी जरूरी है
इसलिए यहाँ किसी को हम राजदाँ नहीं बनाते है
फिसलन बहुत है इस जहाँ में ''''सुकमारी''''संभालना ज़रा
जुबान ज़रा फिसली नहीं कि लोग नजरो से गिर जाते है
------------------------सुकमारी/////९/४/२०११---------------
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