''''''''नुमाइश ''''''''
by Sukamaari Arora on Monday, April 11, 2011 at 5:22pm
;''''''''''नुमाइश'''''''''
इस जिंदगी में कभी कभी ऐसे भी मुकाम आये है
जिसे ना समझ पाए हम , वो भी ना समझ पाए है
हम रहनुमा की तलाश में हर राह से गुज़र गए
राहजन ही राहजन हर मोड़ पर पाए है
सदमे उठा उठा कर कुछ थक से गए है
यूँ ज़ख्म-इ-दिल पर कई नगर बसाए है
भेजा था पैगाम जिन राह्जनो को '''सुकमारी''
ज़ख्मो की नुमाइश देखने वो आज आये है
-------------सुकमारी/११.४.२०११--------------

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