''''''''''GAROOR'''''''
by Sukamaari Arora on Tuesday, May 3, 2011 at 8:46am
आसमान को चूमने से पहले ही
पतंग भी कभी कभी लटक जाती है
हद से ज्यादा गुजर जाए प्यार
बात मामूली भी नज़र में खटक जाती है
जिंदगी भर रहे हजूमे-यारों में
जिंदगी उनमे भी कभी भटक जाती है
जीस्त पर गरूर क्यों करे '''सुकमारी'''
मासूम कली की तरह चटक जाती है
-------------सुकमारी,,,,/////3/5/2011
http;//suku''shayri.blogspot.com

No comments:
Post a Comment